मेहनत और असफलता

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दोस्तों,

हम अगर मेहनत करना शुरू करेंगे, तो हारेंगे | 

क्यूँ? आप हैरान हुए कि मेहनत करने वाले कैसे हार सकते है?

दोस्तों, ज़रूरी नहीं कि कोई व्यक्ति मेहनत करता है, और पहली बार में ही सफलता उसके कदम चूमे । असल में ये बात ग़लत है कि जो व्यक्ति मेहनत करेगा वही सफल बनेगा। सफल बनने के लिए जो सबसे ज़रूरी चीज़ है वो कि किसी मक़सद के पीछे तब तक भागते रहना जब तक कि वो हासिल ना हो जाए। 

असफल लोगों में हमेशा एक बात सामान्य देखने के लिए मिलती है कि अगर वो कोई भी काम शुरू करते है तो शुरू में उनके अंदर ढेर सारी एनर्जी होती है। पर जैसे जैसे वक्त बीतता है, उनका इंट्रेस्ट अपने मक़सद से हटने लगता है। और काम से इंट्रेस्ट हटने का मतलब उस काम को जो आप इतनी ऊँचाइयो पर ले गए थे वो नीचे आने लगता है । मुक़ाबला बढ़ने लगता है। उसको हार मिलने लगती है। इससे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है । और व्यक्ति हार मान लेता है ।

तो मेहनत आप जितनी मर्ज़ी कर लीजिए। लेकिन जिस दिन आपने हार मान ली,  उस दिन मेहनत करने वाले की हार होती है। जो व्यक्ति बने रहता है, वो जीतेगा ही जीतेगा। 

कोई व्यक्ति क्यों हार मानता है?

जब उसे लगता है कि अब मेहनत करके कोई फ़ायदा नहीं। जब उसे लगने लगता है कि जिस मक़सद के पीछे मैं दौड़ रहा हूँ, वो मक़सद व्यर्थ है। हो सकता है, जिस समय आप ऐसा सोच रहे हो कि आपको अपने मक़सद को छोड़ देना चाहिए,  तो  उस समय आपको अपना फ़ैसला ठीक लगे । लेकिन इस बात पर भी सोचना ज़रूरी है कि आख़िर आप उस मक़सद को हासिल क्यों करना चाहते थे। 

मेहनत करने का सही तरीक़ा?

दोस्तों, मान लीजिए कि आप किसी सीधे रास्ते पर चलते जाए, चलते जाए । आपको कहा पहुँचना है अगर ये ना पता हो तो आप कहाँ पहुँचेंगे? यही सवाल मेहनत करने के साथ भी है। हर कोई ये बात बताता है कि मेहनत करो, मेहनत करने वालों की हार नहीं होती। लेकिन इसमें छुपी बात पर कोई प्रकाश नहीं डालता । जैसा कि मैंने कहा कि आपको कहाँ जाना है ये पहले तय होना चाहिए । आपको क्यों वहाँ जाना है ये भी तय होना चाहिए। तभी आप उस रास्ते पर चलिए और तब तक मत रुकिए जब तक आपकी मंज़िल आपको ना मिल जाए।

ऐसा नहीं कि ये रास्ता बिलकुल सीधा होगा, आसान होगा या इसमें आपको कोई मुश्किलें नहीं आएँगी। हो सकता है आपको उस आलसी ख़रगोश की तरह बार – बार बीच में आराम करने का मन करे, लेकिन ऐसे में जीतेगा तो कछुआ ही। जो भले ही slow हो मगर इरादे का पक्का है। आराम से मेरा मतलब सिर्फ़ इतना है कि जब हम अपना कोई मक़सद तय करते है, और फिर जब उसे पाने के लिए मेहनत करते है । तो सोचते है कि आज थोड़ा enjoy कर लेते है। आज की छुट्टी! जैसे बहाने लगाते है, तो हम उसी आलसी ख़रगोश की तरह बन जाते है। और अंत में कोई दूसरा बाज़ी मार जाएगा।

आशा करता हूँ कि आप सभी को ये आर्टिकल पसंद आया हो और अब आप अपनी मेहनत को सही तरीक़े से कैसे इस्तेमाल करना है सीख गए होंगे। आप सभी का धन्यवाद ।

Ajit Gupta

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